संदेश

अप्रैल 17, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

HINDI STORY

| दुष्टता का फल | कंचनपुर के एक धनी व्यापारी के घर में रसोई में एक कबूतर ने घोंसला बना रखा था । किसी दिन एक लालची कौवा जो है वो उधर से आ निकला । वंहा मछली को देखकर उसके मुह में पानी आ गया ।  तब उसके मन में विचार आया कि मुझे इस रसोघर में घुसना चाहिए लेकिन कैसे घुसू ये सोचकर वो परेशान था तभी उसकी नजर वो कबूतरों के घोंसले पर पड़ी । उसने सोचा कि मैं अगर कबूतर से दोस्ती कर लूँ तो शायद मेरी बात बन जाएँ । कबूतर जब दाना चुगने के लिए बाहर निकलता है तो कौवा उसके साथ साथ निकलता है । थोड़ी देर बाद कबूतर ने पीछे मुड़कर देखता तो देखा कि कौवा उसके पीछे है इस पर कबूतर ने कौवे से कहा भाई तुम मेरे पीछे क्यों हो इस पर कौवे ने कबूतर से कहा कि तुम मुझे अच्छे लगते हो इसलिए मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ इस पर कौवे से कबूतर ने कहा कि हम कैसे दोस्त बन सकते है हमारा और तुम्हारा भोजन भी तो अलग अलग है मैं बीज खाता हूँ और तुम कीड़े । इस पर कौवे ने चापलूसी दिखाते हुए कहा "कौनसी बड़ी बात है मेरे पास घर नहीं है इसलिए हम साथ साथ तो रह ही सकते है है न और साथ ही भोजन खोजने आया करेंगे तुम अपना और मैं अपना ।" ...

HINDI STORY

एक समय की बात : एक समय की बात है। मालवा में अकाल पड़ गया। वहां के राजा सोचने लगे, क्या किया जाए? नदियां सूख रही हैं। कहीं भी पानी नहीं। क्यों न कुएं खुदवाए जाएं, तभी प्रजा का पालन हो सकेगा। कुएं खोदते-खोदते महीनों बीत गए। पानी नहीं निकलना था, सो नहीं निकला। राज्य के पंडितों-जानकारों को बुलाया गया। कोई हल नहीं निकला। एक चालाक प‍ंडित ने कुछ सोचकर कहा- 'ये सब जलदेवी का प्रकोप है। वे तभी मानेंगी ‍जब किसी की बलि दी जाए। जमीन में जैसे ही किसी के खून की बूंद गिरेगी वो पानी से भर जाएगा। शर्त यह है कि वह 11 वर्ष का हो, उसके घुंघराले बाल हों और जिसके एक हाथ में छ: अंगुलियां हों।' इतना कहकर एक शैतानी मुस्कान से उसका चेहरा खिल उठा। वास्तव में गांव में ऐसा एक ही लड़का था- सुमेर। सुमेर की मां सौतेली थी। पिता भी गुजर गए थे। पंडित के दिमाग में सुमेर को ठिकाने लगाने की योजना चल रही थी, क्योंकि पंडित सुमेर की सौतेली मां को पसंद करता था। वह स्त्री भी पैसे की लालची थी। पंडित और पैसे के चक्कर में वह स्त्री अपनी ममता भुला बैठी। उसने दो हजार मोहरें लेकर सुमेर को बलि के लिए दे दिया। सुमेर ठह...

इसरो की एक अभियान में रिकॉर्ड 22 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने की योजना

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) की एक अभियान में रिकॉर्ड 22 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने की योजना है. यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से मई 2016 में किया जायेगा. यह प्रक्षेपण यान इसरो के इतिहास में पहली बार 22 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करेगा. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान, पीएसएलवी C34 भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह कारटोसेट 2सी के अलावा 85 से 130 किलोग्राम के चार माइक्रो उपग्रह और 4 से 30 किलोग्राम के 17 नैनो उपग्रह अंतरिक्ष में लेकर जाएगा. इस अभियान में 18 विदेशी उपग्रह हैं, जिसमें अमेरिका, कनाडा, र्जमनी और इंडोनेशिया के उपग्रह शामिल हैं. इनमें दो नैनो उपग्रह को पुणे इंजीनियरिंग कॉलेज तथा सत्यभामा विश्वविद्यालय, चेन्नई द्वारा विकसित किया गया. गौरतलब है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पास एक मिशन में सर्वाधिक उपग्रह प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड है. नासा ने वर्ष 2013 में एक अभियान में 29 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया था. माइक्रोसेटेलाइट मेरीटाइम मोनिटरिंग एंड मैसेजिंग माइक्रोसेटेलाइट (एम3एमसैट): कनाडा के एम3एमसैट माइक्रोसेटेलाइट का उप...

चीन ने एसजे-10 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया

चीन ने 5 अप्रैल 2016 पुन: प्राप्त किए जा सकने वाले वैज्ञानिक अनुसंधान उपग्रह एसजे-10 (Shijian -10) का प्रक्षेपण किया. इसका प्रक्षेपण उत्तरपश्चिमी चीन के गोबी मरूस्थल स्थित जिउक्वाल उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्ग मार्च 2-डी रॉकेट के जरिए किया गया. इसका उद्देश्य सूक्ष्म गुरूत्व और अंतरिक्ष जीवन विज्ञान का अध्ययन करने में वैज्ञानिकों की मदद करना है. सीएएस (CAS) कार्यक्रम के चार वैज्ञानिक उपग्रहों में से एसजे-10 दूसरा वैज्ञानिक उपग्रह है और यह अन्यों से इस बात में अलग है कि यह लौटकर आ सकता है. पिछले कुछ दशकों में चीन की ओर से प्रक्षेपित किया गया यह ऐसा 25वां उपग्रह है, जिसे वापस प्राप्त किया जा सकता है. एसजे-10 पर होने वाले प्रयोग अंतरिक्ष में रहने के दौरान यह कुल 19 प्रयोगों को अंजाम देगा, जिनमें सूक्ष्म गुरूत्व द्रव भौतिकी, सूक्ष्म गुरूत्व दहन, अंतरिक्षीय पदार्थ, अंतरिक्ष विकिरण प्रभाव, सूक्ष्म गुरूत्व जैविक प्रभाव और अंतरिक्ष जैव-तकनीक से जुड़े प्रयोग शामिल होंगे. इसके बाद यह नतीजों के साथ पृथ्वी पर लौट आएगा. इनमें एक प्रयोग के तहत सूक्ष्म गुरूत्व के अंतर्गत चूहे के भ्रूण के शुरुआती च...

नासा खगोलविदों ने 17 अरब सूर्यों जितने बड़े ब्लैक होल की खोज की

नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने 17 अरब सूर्यों के बराबर आकार एवं वजन वाले ब्लैक होल की खोज की. इसकी खोज आकाशगंगा के बिलकुल मध्य में मौजूद क्षेत्र में की गयी जिससे पता चलता है कि इसी प्रकार के अन्य विशालकाय ब्लैक होल किसी भी अनुमान से अधिक विशाल हो सकते हैं. इस खोज के संबंध में 6 अप्रैल 2016 को नेचर नामक पत्रिका में लेख प्रकाशित किया गया. प्रमुख खोजकर्ता हैं – यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के खगोलविद एवं मैसिव सर्वे के प्रमुख पेई मा तथा मैक्स प्लानक-इंस्टिट्यूट फॉर एक्स्ट्राटेरेटेरिअल फिजिक्स के जेन्स थॉमस.  खोज के प्रमुख बिंदु •    ब्लैक होल को अंडाकार आकाशगंगा के केंद्र एनजीसी 1600 एवं कॉस्मिक बैकवाटर में खोजा गया. यह 20 या उससे अधिक आकाशगंगाओं का समूह है. •    यह पृथ्वी से 200 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. •    इस ब्लैक होल द्वारा सितारों को पीछे धकेल दिया गया जो 40 बिलियन सूर्यों के बराबर है जो पूरी आकाशगंगा को प्रभावित कर सकने में सक्षम है. खोज कैसे की गयी ? आसपास के तारों की गति देखकर इस ब्लैक होल की मौजूदगी का पता लगाया गया. इस गति से ब्लैक ...