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कैंसर से बचने के उपाय -

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कैंसर से बचने के उपाय खोजने से बेहतर है इस से बचा ही जाये क्योंकि ये एक गंभीर बीमारी है जिस से बचने के लिए हमे कुछ अधिक नहीं करना होता है जबकि ऐसा होता है जब मैं किसी को गुटके या अन्य तम्बाकू के Product न use करने को कहता हूँ तो उल्टा मुझे सुननी पड़ती है कि " फलाने ने तो पूरी जिन्दगी खाया उसे तो कुछ नहीं हुआ " | तो भाई आप किसी और की बात क्यों करते है खुद की करिए न ? और असल में ऐसा इसलिए है कि आज के मुकाबले पहले के लोग हमसे कंही अधिक मेहनत वाली और मुश्किल जिन्दगी जीते थे इसलिए " उनका रोग प्रतिरोधक सिस्टम" भी तो मजबूत था जबकि आज के विलासिता पूर्ण जिन्दगी में ऐसा नहीं है चलिए हम कैंसर के बारे में और उस से बचने के लिए कुछ अहम् बातों पर नजर डालते है |   आप भी मेरी तरह ये कह सकते है कि अब तो ये बीमारी आम है और बदलती जीवनशैली या खानपान का ही दुष्प्रभाव है चाहे कितना ही संयम वाली जिन्दगी जी लो लेकिन सच्चाई यही है कि हम अगर अपनी जिन्दगी में छोटी छोटी बातों का ध्यान रखे तो बड़ी आसानी से कैंसर जैसी भयावह बीमारी से बच सकते है | कैंसर के तेजी से फैलने की वजह – ...

Hindi story

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ये कहानी हर मध्यम व छोटे वर्ग किसान की है. …. कहते हैं.. इन्सान सपना देखता है तो वो ज़रूर पूरा होता है. मगर किसान के सपने कभी पूरे नहीं होते बड़े अरमान और कड़ी मेहनत से फसल तैयार करता है और जब तैयार हुई फसल को बेचने मंडी जाता है. बड़ा खुश होते हुए जाता है. बच्चों से कहता है आज तुम्हारे लिये नये कपड़े लाऊंगा फल और मिठाई भी लाऊंगा, पत्नी से कहता है.. तुम्हारी साड़ी भी कितनी पुरानी हो गई है फटने भी लगी है आज एक साड़ी नई लेता आऊंगा. पत्नी:–"अरे नही जी..!" "ये तो अभी ठीक है..!" "आप तो अपने लिये जूते ही लेते आना कितने पुराने हो गये हैं और फट भी तो गये हैं..!" जब किसान मंडी पहुँचता है . ये उसकी मजबूरी है वो अपने माल की कीमत खुद नहीं लगा पाता. व्यापारी उसके माल की कीमत अपने हिसाब से तय करते हैं. एक साबुन की टिकिया पर भी उसकी कीमत लिखी होती है. एक माचिस की डिब्बी पर भी उसकी कीमत लिखी होती है. लेकिन किसान अपने माल की कीमत खु़द नहीं कर पाता . खैर.. माल बिक जाता है, लेकिन कीमत उसकी सोच अनुरूप नह...