👉 *आध्यात्मिक तेज का प्रज्वलित पुंज होता है चिकित्सक

👉 *आसन, प्राणायाम, बंध एवं मुद्राओं से उपचार* *प्राणायाम के अलावा बन्ध हठयोग की अन्य महत्त्वपूर्ण विधि है। इसे अन्तः शारीरिक प्रक्रिया कहा गया है।* इनके अभ्यास से व्यक्ति शरीर के विभिन्न अंगों तथा नाड़ियों को नियंत्रित करने में समर्थ होता है। इनके द्वारा शरीर के आन्तरिक अंगों की मालिश होती है। रक्त का जमाव दूर होता है। *इन शारीरिक प्रभावों के साथ बन्ध सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त विचारों एवं आत्मिक तरंगों को प्रभावित कर चक्रों पर सूक्ष्म प्रभाव डालते हैं।* यहाँ तक कि यदि इन का अभ्यास विधिपूर्वक जारी रखा जाय तो *सुषुम्रा नाड़ी में प्राण के स्वतन्त्र प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करने वाली ब्रह्मग्रन्थि, विष्णुग्रन्थि व रुद्रग्रन्थि खुल जाती है और आध्यात्मिक विकास का पथ प्रशस्त होता है।* *हठयोग की एक अन्य विधि के रूप में मुद्राएँ सूक्ष्म प्राण को प्रेरित, प्रभावित व नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाएँ हैं।* इनमें से कई मुद्राएँ तो ऐसी हैं जिनके द्वारा अनैच्छिक शरीरगत प्रक्रियाओं पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। *मुद्राओं का अभ्यास साधक को सूक्ष्म शरीर स्थित प्राण- शक्ति की तरंगों के प्रति जागरूक...