ब्रम्हकपाल में पिंडदान का फल :----

ब्रम्हकपाल में पिंडदान का फल :---- भारत में एक ऐसा तीर्थ है जहां पर पिंडदान करने का फल गया से आठ गुणा आधिक प्राप्त होता है। कहा जाता है कि यहां पर भोलेनाथ को ब्रह्महत्या से मुक्ति मिली थी। यह स्थान उत्तराखंड के बदरीनाथ के पास स्थित है। जिसे ब्रह्मकपाल के नाम से जाना जाता है। इसके विषय में मान्यता है कि यहां पर पितरों का पिंडदान करने से उन्हें नर्क से मुक्ति मिलती है। स्कंद पुराण में भी ब्रह्मकपाल को गया से आठ गुणा अधिक फलदायी पितर कारक तीर्थ कहा गया है। कहा जाता है कि सृष्टि उत्पति के समय भगवान ब्रह्मा मां सरस्वति के स्वरूप पर मोहित हो गए थे। भोलेनाथ ने क्रोधित होकर उनका एक सिर अपने त्रिशूल से काट दिया था। ब्रह्म हत्या के कारण उनका सिर त्रिशूल पर ही चिपका रह गया। इस पाप से मुक्ति हेतु भोलेनाथ पृथ्वी लोक गए। बद्रीनाथ से 500 मीटर की दूरी पर उनके त्रिशूल से ब्रह्मा का सिर धरती पर गिर गया। तभी से यह स्थान ब्रह्मकपाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भगवान शिव ने इस स्थान को वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति इस स्थान पर श्राद्ध करेगा, उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिलेगी। उनकी कई पीढ़ियों के पितरों को भी मुक्ति...