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अप्रैल 23, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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एक व्यक्ति आफिस में देर रात तक काम करने के बाद थका-हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका छोटा सा बेटा सोने की बजाय उसका इंतज़ार कर रहा है . अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —" पापा , क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ ?" " हाँ -हाँ पूछो , क्या पूछना है ?" पिता ने कहा . बेटा – " पापा , आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं ?" " इससे तुम्हारा क्या लेना देना …तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो?" पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया .बेटा – " मैं बस यूँ ही जाननाचाहता हूँ . प्लीज बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं ?" पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा , नहीं बताऊंगा , तुम जाकर सो जाओ "यह सुन बेटा दुखी हो गया …और वह अपने कमरे में चला गया . व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे ने ऐसा क्यों पूछा ……पर एक -आधघंटा बीतने के बाद वह थोडा शांत हुआ ,फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला , " क्या तुम सो रहे हो ?", "नहीं " जवाब आया . " मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्ह...

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एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ट था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे. उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, " इन हाथियों को छोटे से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती कि इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते, और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते." आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!! इन हाथियों की तरह ही हममें से...

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आधी रोटी का कर्ज... सुलेखा बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और गोपाल बार बार उसको अपनी हद में रहने की कह रहा था लेकिन सुलेखा थी की चुप होने का नाम ही नही ले रही थी जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि "उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारे और मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आया अंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।। बात जब गोपाल की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने सुलेखा के गाल पर एक जोरदार तमाचा दे मारा अभी तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी गोपाल और सुलेखा की। सुलेखा से गोपाल का तमाचा सहन नही हुआ वह घर छोड़कर जाने लगी गोपाल ने उसे बहुत समझाया लेकिन वह ना मानी लेकिन उसने जाते जाते गोपाल से एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यूं है..?? तब गोपाल ने जो जवाब सुलेखा को दिया उस जवाब को सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना तो उसका मन भर आया गोपाल ने सुलेखा को बताया कि "जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गए मां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जो कमा पाती थी उससे एक वक्त का खाना आता था मां एक थाली में मुझे परोसा देती थी और खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी और...