केंद्र सरकार ने बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन नियम 2016 अधिसूचित किया

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 28 मार्च 2016 को बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन नियम, 2016 अधिसूचित कर दिया.
यह नियम बायो– मेडिकल कचरा (प्रबंधन एवं निगरानी) नियम, 1998 की जगह लेगा.

बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन नियम, 2016 की मुख्य बातें :

• मानवीय एवं पशु के शारीरिक अपशिष्ट, उपचार एवं अनुसंधान की प्रक्रिया में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में प्रयोग किए जाने वाले उपचार उपकरण जैसे सूईंयां, सिरिंज और अन्य सामग्रियों को बायोमेडिकल कचरा कहा जाता है.

• यह कचरा अस्पतालों, नर्सिंग होम, पैथलॉजिकल प्रयोगशालाएं, ब्लड बैंक आदि में डायग्नोसिस, उपचार या टीकाकरण के दौरान पैदा होता है.

• इस नए नियम का उद्देश्य देश भर की 168869 स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं (एचसीएफ) से रोजाना पैदा होने वाले 484 टन बायोमेडिकल कचरे का उचित प्रबंध करना है.

• नियम के दायरे को बढ़ाया गया है और इसमें टीकाकरण शिविरों, रक्तदान शिविरों, शल्य चिकित्सा शिविरों या अन्य स्वास्थ्य देखभाल गतिविधि को भी शामिल किया गया है.

• क्लोरीनयुक्त प्लास्टिक की थैलियां, दास्ताने और खून की थैलियों को दो वर्ष के भीतर चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा.

• प्रयोगशाला कचरे, सूक्ष्मजीवविज्ञानी कचरे, खून के नमूनों और खून की थैलियों को कीटाणुशोधन या ऑन–साइट विसंक्रमण के जरिए पूर्व– उपचार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) या राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) द्वारा निर्धारित तरीके से किया जाएगा.

• सभी स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों को नियमित रूप से प्रशिक्षण और टीकाकरण दिया जाएगा.

• बायो– मेडिकल कचरा रखने वाले थैलियों या कंटेनरों को नष्ट करने के लिए बार– कोड प्रणाली बनाई जाएगी.

• सेकेंडरी चैंबर में धारण समय के लिए मानकों को प्राप्त करने हेतु मौजूदा भट्ठि. (incinerators) और दो वर्षों के भीतर डायऑक्सिन एवं फ्यूरन्स की व्यवस्था. • कचरे को अलग करने की प्रक्रिया में सुधार के लिए बायो– मेडिकल कचरे को अब मौजूदा 10 श्रेणियों की जगह 4 श्रेणियों में ही बांटा जाएगा.

• प्राधिकरण को सरल बनाने की प्रक्रिया के तहत बिस्तर वाले अस्पतालों के लिए ऑटोमेटिक ऑथराइजेशन की अनुमति होगी. बिस्तर वाली स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं के लिए प्राधिकरण की वैधता सहमति आदेश की वैधता के समरूप किया गया है.

• नए नियम में भट्ठियों के लिए मानक और सख्त किए गए हैं ताकि पर्यावरण में प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम किया जा सके.

• डाइऑक्सिन एवं फ्यूरन्स के लिए उत्सर्जन सीमा निर्धारित किए गए.

• राज्य सरकार आम बायो–मेडिकल कचरा उपचार एवं निपटान सुविधा बनानेके लिए जमीन मुहैया कराएगी.

• अगर आम बायो–मेडिकल कचरा उपचार सुविधा पचहत्तर किलोमीटर की दूरी पर उपलब्ध है तो कोई भी ठेकेदार ऑनसाइट ट्रीटमेंट या निपटान सुविधा नहीं बनाएगा.

• आम बायो–मेडिकल कचरा उपचार एवं निपटान सुविधा के संचालक को एचसीएफ से समय पर बायो– मेडिकल कचरा उठाना सुनिश्चित करना होगा और एचसीएफ को प्रशिक्षण आयोजित करने में सहयोग देना होगा.

ये नियम मार्च 2016 में अधिसूचित अन्य कचरा प्रबंधन नियमों के अतिरिक्त है. अन्य अधिसूचित नियम इस प्रकार हैं–

• प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016

• ई–कचरा प्रबंधन नियम, 2016

• कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स,

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