Hindi story
| प्रेम की महिमा |
पुराने समय की बात है एक शहर के आस पास के जंगलो में एक भेडिये का इतना आतंक छाया हुआ था कि वंहा कोई रास्ता चलने का साहस भी नहीं करता था । वह अनेक मनुष्यों और जानवरों को मार चुका था । अंत में उस शहर के एक महान संत फ्रास्वा ने उस भयानक जानवर का सामना करने की ठानी । वे शहर के से बाहर निकले तो उनके पीछे स्त्री और पुरुषों की बहुत भीड़ थी ।
जैसे ही संत जंगल के समीप पहुंचे वैसे ही भेडिये ने उनकी तरफ रुख किया और उनकी और लपका । तभी संत ने उसकी और एक शांतिपूर्वक ऐसा संकेत किया कि भेड़िया ठंडा होकर संत के पैरो के पास ऐसे लोट गया जैसे कोई भेड़ का बच्चा हो । तभी संत ने उसे संबोधित किया " कि देख भाई तूने इस शहर को बहुत हानि पहुंचाई है और बहुत उत्पात किया है इस वजह से तू बाकी अपराधियों की तरह दंड का अधिकारी है और इस शहर के लोग तुमसे बहुत घृणा करते है । परन्तु यदि तेरे और इस शहर में रहने वाले मेरे मित्रो के बीच मैत्री स्थापित हो जाये तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी । भेडिये ने अपना सिर झुका लिया और पूँछ हिलाने लगा ।"
इस पर संत ने फिर से कहा " देख भाई मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अगर तू इन लोगो के साथ शांतिपूर्वक रहना स्वीकार करता है तो ये लोग भी तेरे साथ बेहद अच्छा बर्ताव करेंगे और साथ ही तेरे लिए खाने की भी व्यवस्था कर देंगे । " क्या तू ये प्रतिज्ञा करता है ? इस पर भेडिये ने अपना सिर पूरी तरह झुका लिया और संत के हाथ पर अपना पंजा रख दिया ।
संत उसे शहर के बीचो बीच ले गये और सबके सामने एक बार फिर भेडिये से ये बात कही तो भेडिये ने पहले की तरह संत के हाथ पर हाथ रख दिया और उसके बाद वो भेड़िया दो साल तक उस शहर में रहा और उसने किसी को कोई हानी नहीं पहुंचाई इस पर उसके मरने पर भी लोगों को बहुत दुःख हुआ लेकिन फिर भी वो लोग हेरान थे कि ऐसा खूंखार जानवर ने अपनी प्रवृति किस तरह बदल ली ।
उसे जिसने बदल दिया उसके अंदर एक चीज़ थी ये किसी ने नहीं जाना । ये संत फ्रांस्वा का प्रेम पूर्ण बर्ताव था जिसने उसे बदल दिया और प्रेम की महिमा इसी को तो कहते है ।
कहानी से हमे सीख मिलती है कि किसी भी तरह के बुरे इन्सान जो अपने स्वभावत: बुरा होता है उसे हम अपने अच्छे बर्ताव से बदल सकते है अगर हम ऐसा करना चाहें तो क्योंकि वो लोग जो समाज के विरोध में सोचते है उन्हें समाज से बाहर तिरस्कृत करने से कोई समस्या हल नहीं हो जाती है जरुरत है तो बस उनसे और अधिक प्रेमपूर्वक बर्ताव की जिस से हम उनकी जिन्दगी बदल सकते है ।
पुराने समय की बात है एक शहर के आस पास के जंगलो में एक भेडिये का इतना आतंक छाया हुआ था कि वंहा कोई रास्ता चलने का साहस भी नहीं करता था । वह अनेक मनुष्यों और जानवरों को मार चुका था । अंत में उस शहर के एक महान संत फ्रास्वा ने उस भयानक जानवर का सामना करने की ठानी । वे शहर के से बाहर निकले तो उनके पीछे स्त्री और पुरुषों की बहुत भीड़ थी ।
जैसे ही संत जंगल के समीप पहुंचे वैसे ही भेडिये ने उनकी तरफ रुख किया और उनकी और लपका । तभी संत ने उसकी और एक शांतिपूर्वक ऐसा संकेत किया कि भेड़िया ठंडा होकर संत के पैरो के पास ऐसे लोट गया जैसे कोई भेड़ का बच्चा हो । तभी संत ने उसे संबोधित किया " कि देख भाई तूने इस शहर को बहुत हानि पहुंचाई है और बहुत उत्पात किया है इस वजह से तू बाकी अपराधियों की तरह दंड का अधिकारी है और इस शहर के लोग तुमसे बहुत घृणा करते है । परन्तु यदि तेरे और इस शहर में रहने वाले मेरे मित्रो के बीच मैत्री स्थापित हो जाये तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी । भेडिये ने अपना सिर झुका लिया और पूँछ हिलाने लगा ।"
इस पर संत ने फिर से कहा " देख भाई मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अगर तू इन लोगो के साथ शांतिपूर्वक रहना स्वीकार करता है तो ये लोग भी तेरे साथ बेहद अच्छा बर्ताव करेंगे और साथ ही तेरे लिए खाने की भी व्यवस्था कर देंगे । " क्या तू ये प्रतिज्ञा करता है ? इस पर भेडिये ने अपना सिर पूरी तरह झुका लिया और संत के हाथ पर अपना पंजा रख दिया ।
संत उसे शहर के बीचो बीच ले गये और सबके सामने एक बार फिर भेडिये से ये बात कही तो भेडिये ने पहले की तरह संत के हाथ पर हाथ रख दिया और उसके बाद वो भेड़िया दो साल तक उस शहर में रहा और उसने किसी को कोई हानी नहीं पहुंचाई इस पर उसके मरने पर भी लोगों को बहुत दुःख हुआ लेकिन फिर भी वो लोग हेरान थे कि ऐसा खूंखार जानवर ने अपनी प्रवृति किस तरह बदल ली ।
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