मानव-जीवन पाकर भी, भगवत्प्राप्ति का उद्देश्य समझकर भी मनुष्य दिग्भ्रमित क्यों रहता है? क्या जीवन उसे उसकी इच्छा से प्राप्त हुआ है? अमुक वंश या अमुक जाति में जन्म पाना मनुष्य के बस की बात नहीं है| फिर क्यों न मनुष्य जहाँ प्रभु की इच्छासे जीवन जीने का स्थान मिला, उसे ही अपनी कर्मभूमि समझ अपने योग्यतानुसार प्रभु कार्य में लगाकर अपना जीवन सफल करने का प्रयास करे| मनुष्य को जो कुछ भगवान ने दिया है उसके प्रति आभार ब्यक्त करने की अपेक्षा जो नहीं मिला उसे लेकर वह चिंतित तथा दु:खी रहता है| भौतिक सुख-साधनों को सर्वोपरि समझ कर परमार्थ को भूल जाता है| अपने जिम्मे आये कार्यों को करना नहीं चाहता| केवल भोग भोगना चाहता है, कितनी बड़ी मूर्खता करता है| एक किसान हल चलाता और खेत की मिटटी को नरम कर उसमें बीज डालता है| उसके पश्चात् प्राकृत या परमात्मा के अनुग्रह से फसल होती है तथा फल भी प्राप्त होता है| यदि भाग्य में नहीं होता तो वर्षा न होने या कम होने से लाभसे वंचित भी रह जाता है| मगर यदि मेहनत नहीं करेगा, बीज नहीं बोएगा तो कितनी ही अच्छी वर्षा से फल लाभ दायक नहीं हो सकता | ईश्वर की सहायता भी तभी फली भूत होती है जब हम ने अपना कार्य किया हो| केवल आशावादी बनकर कर्म-विमुख जीवन निरर्थक है| बिना बीज बोए तो अनपेक्षित झाड़-झंखाड़ ही पैदा होंगे और शेष जीवन उन झाड़ियों के उखाड़ फेंकने में ही बीत जाएगा|
Hindi story
सच्चा होना एक बार एक छोटा लड़का था, पुखराज, जो एक किसान का बेटा था. पुखराज की एक बुरी आदत यह थी की वह कई बार अपने परिवार और दोस्तों से झूट बोला करता था. वह जंगल में बसे राक्षसों की कहानिया सुनाता था, या फिर वह नाटक करता था की खेतों में ज़हरीलें साप हैं, या फिर कैसे वह बहुत बीमार है जब की वह बिलकुल बीमार नहीं था. उस छोटे लड़के का काम था की हर सुबह नज़दीक के पहाड़ों के जंगल के एक खुल्ले मैदान में, वह अपने पिताजी के मावेशी को घास चरने ले जाए. पुखराज को इस काम में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि उसे वे मावेशी बहुत नीरस लगते थे, और वह अनेक बार आशा करता था की काश उसकी ज़िन्दगी में और मज़ा हो, और उसकी ज़िन्दगी और रोमांचक हो. लेकिन मज़े और रोमांच की जगह, पुखराज अपने आप को हर दिन वही नीरस काम करते हुए पाता था, और इस बात ने उसे बहुत नाराज़ कर दिया था. और इसी नाराज़गी की वजह से, बदमाश पुखराज झूटी कहानिया बुन्नता था.  एक दिन, जब वह लड़का बहुत उब गया था अपनी मावेशी का ख्याल रख कर, उसने ठान ली की वह गाव वालों के साथ मज़ाक करेगा. "मैं नाटक करूँगा की मुझपर एक शेर ने वार किया है", ...
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